नीरू रूस्तगी को मिला ग्रैंडमा ग्लोब का टाइटल क्राउन
देहरादून। कहते हैं प्रतिभा कभी उम्र की मोहताज नहीं होती बस लगन होनी चाहिए कुछ कर दिखाने की। इस बात को साबित कर दिखाया है। 52 वर्षीय नीरू रूस्तगी ने। देहरादून में जन्मी, पली-बढ़ी नीरू रूस्तगी ने देश ही नहीं विदेश में भी नाम रोशन किया है। नीरू रस्तोगी केवल महिलाओं के लिए ही नहीं अपितु युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं। ग्रहणियां जो घर और बच्चों की देखभाल में अपने अस्तित्व को कहीं न कहीं खो देती है नीरू जी उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होने अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी प्रतिभा के बल पर अपनी-अलग पहचान भी बनाई है।
विवाह के उपरान्त नीरू रूस्तगी 29 वर्षों से सूरज गुजरात में अपने पति श्री चन्द्रशेखर रूस्तगी (जो कि टैक्सटाइल व्यवसाय में हैं) के साथ रहती हैं और जब समय मिलता है तो वह देहरादून में आकर भी कुछ समय व्यतीत करती हैं। जीवन के तमाम संघर्षो एवं मुश्किलों से लड़कर उन्होने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह नीरू रूस्तगी का हौंसला ही है की 5 बड़े ऑपरेशन होने के बाद और पिछले 10 सालों से डायबिटीज और थाईराइड होने के बावजूद उन्होने हिम्मत नहीं हारी और खुद पर विश्वास को बनाये रखानीरू रूस्तगी ने 21 जनवरी 2020 को ग्रैंडमा यूनिवर्स 2020 में प्रतिभाग किया जो कि बुल्गारिया सोफिया (यूरोप) में आयोजित हुआ था। इसमें उन्हें ग्रैंडमा ग्लोब के टाइटल क्राउन से सम्मानित किया गया।
नीरू रूस्तगी को टाईटल विजेता मिसेज क्लासिक गैलेक्सी क्वीन इण्डिया 2019 एवं सब टाइटल 'फ्रैंडली' मिसेज क्लासिक गैलेक्सी इण्डिया 2019 तथा प्रथम रनर अप मिसेज क्लासिक गैलेक्सी क्वीन गुजरात 2018, तीज क्वीन विजेता, करवा चौथ क्वीन, गरबा डांडिया, वैलेन्टाइन क्वीन 2017 और 2018 आदि सम्मानों से सम्मानित किया गया है। नीरू रूस्तगी ने इंटरनेशनल फॉक फैस्टिवल बुल्गारिया (यूरोप) में अपनी तीस महिला सदस्यों के साथ भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनकी प्रतिभा एवं कार्य निष्पादन देखकर उपस्थित जनसमुदाय अत्यंत प्रेरित हुआ। नीरू जी ने अपने जीवन के सार को इन शब्दों में रूपान्तरित किया है
दो प्यारी सी बेटियों की मां हूं मैं और एक छोटी सी परी की नानी हूं मैं,
भजन भी मैं गाती हूं और गजल भी मैं गाती हूं, मंदिर भी मैं जाती हूं और क्रिकेट भी मैं खेलती हूं,
कड़छी भी चलाती हूं और कलम भी मैं चलाती हूं,
नृत्य भी मैं करती हूं और वर्कआउट भी मैं करती हूं,
५० के गुजर जाने का कोई गम नहीं कर रही हूं मैं,
क्योंकि जीवन की एक नई पारी खेल रही हूं मैं।
नीरू रूस्तगी खुद को अपनी प्रेरणा मानती हैं। उन्होने नकारात्मक को सकारात्मक और अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाया है। यही उनकी सफलता की कुंजी है। नीरू जी का कहना है" पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है।"